जैविक कृषि करने के लिये आवश्यक है कि भूमि को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों प्रदान किये जायें और वह पोषक तत्वों की आपूर्ति “जैविक खाद” (Organic manure) से होती है। जागृत भारतीय किसान कृषि में अब जैविक खादों का प्रयोग ज्यादा करने लगे हैं क्योंकि भूमि में इनका प्रभाव कई वर्षों तक रहता है और ये कृत्रिम ( रासायनिक ) खादों की अपेक्षा सस्ते पड़ते हैं ।
इसी लिए यह भी कहा जाता है कि, “जैविक खाद ऑर्गेनिक फार्मिंग में रीढ़ की हड्डी बराबर है।”
जैविक खाद घर पर बनाने के तरीके जानने से पहले हम समज़ लेते है कि जैविक खाद किसे कहते है:
“पक्षियों के मल मूत्र, शरीर अवशेष,खेत में उगाई फसलों का कूड़ा एवं उद्योगों के उत्पादों (जैव उर्वरक) आदि के विघटन या सड़न से निर्मित पदार्थ को जैविक खाद कहते है, इसे जीवांश खाद या कार्बनिक खाद भी कहा जाता है।”
जैविक खाद बनाने के तरीके उनके प्रकार पर आधारित है।
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जैविक खाद का प्रकार और उसे बनाने की विधि कुछ इस तरह से है:
१. जैविक खाद:
यह एक प्रमुख खाद है जिसे आधुनिक जैविक कृषि में उपयोग किया जाता है। इसे बनाने की प्रकिया एकदम आसान और न्यूनतम लागत वाली है।
(नोंध: हम यहां एक हेकड़ / २ से २.५ बीघा भूमि में लगने वाले खाद की मात्रा बनायेंगे, आपसे अनुरोध है कि आप अपने खेत की ज़मीन के हेकड़ या बीघा को नाप कर योग्य मात्रा में खाद बनाए।)
– एक प्लास्टिक ड्रम में १५ किलोग्राम गाय, बैल या किसी भी जानवर का गोबर लीजिए जिस जानवर का आपने गोबर लिया है उसी जानवर का १५ लिटर मूत्र उस गोबर के साथ ड्रम में भरिए।
अब इसमें १ किलोग्राम देसी या सड़ा हुआ गुड (jaggery), १ किलोग्राम उड़द, मूंग, चने या किसी भी दाल का आटा (बेसन) डालिए। इसके साथ अब आपको १ किलोग्राम ऐसी मिट्टी मिलानी है जो नीम, बरगद या पीपल जैसे पुराने पेड़ के नीचे से खोद कर लाया गया हो।
इन सभी पदार्थ को ड्रम में अच्छे से घोल मिला कर जहा सूर्य प्रकाश ना पड़े वेसी जगह छाव में १५ दिन तक ड्रम को बन्द कर के रखे। जैविक खाद तैयार हो जाएगा।
उपयोग के वक़्त इस खाद को २०० लीटर पानी में मिला कर घोल बनाइए और खेत में छिड़काव करे।
२. गोबर की खाद:
खेत या घर पर रहने वाले पालतू पशुओं के मल, मूत्र, तबेले की बिछावन और पशुओं के खाने से बचे हुए व्यर्थ चारे से बनाया जाने वाला खाद गोबर खाद या फार्मयार्ड खाद कहलाता है।
– ज़मीन में एक गड्ढे की खुदाई कर के उसमें ऊपर बताए गए पशु जन्य गोबर मूत्र और अन्य बिछावन जैसे कचरे आदि को भर कर गड्ढे को २-३ मास की अवधि के लिए छोड़ देना है। यह समय के दौरान गड्ढे में भरा गोबर मूत्र और अन्य तत्वों सड़ कर खाद के रूप में तैयार हो जाएंगे। इस तरह एक से ज्यादा गड्ढे खोद कर ज्यादा मात्रा में निरन्तर गोबर खाद तैयार किया जा सकता है।
३. कम्पोस्ट खाद:
यह खाद बनाने की अलग – अलग विधियां है। लेकिन हम आसान तरीके से घर पर यह खाद बना सकते है।
– शहर तथा गाँव का कूड़ा – करकट जैसे कि फल सब्जी के छिलके, सूखे फूल, कागज़, जली हुई छड़ी की राख, मल जैसे घर से निकलने वाले कचरे को मिट्टी और थोड़ा पानी छिड़क कर एक गड्ढे या छेदयुक्त प्लास्टिक ड्रम में भर कर उसे १०-१५ दिन तक छोड़ दीजिए। वायुजीवी और अवायुजीवी सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा अपघटन होकर एक खूब सड़ी हुई खाद कम्पोस्ट खाद के रूप में तैयार हो जाएगी।
(यहां इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि कम्पोस्ट खाद बनाते वक़्त प्लास्टिक जैसे आदि कचरे का उपयोग बिल्कुल ना हो।)
४. वर्मी कम्पोस्ट खाद:
वर्मी कम्पोस्ट एक ऐसी जैविक खाद है जो केंचुओ के द्वारा बनाई जाती है। इस क्रिया में केंचुए मिट्टी को खा कर उसको मल स्वरूप बाहर निकलते है इस लिए इस तरह से बने खाद को वर्म कम्पोस्ट खाद कहा जाता है।
खाद बनाने के लिए जमीन पर पलास्टिक की तरपाल को बिछाए। उसके ऊपर खेत की मिट्टी, बिछावन का कूड़ा और पशुओं के गोबर मूत्र आदि को अच्छी तरह घोल मिला कर उसका आवरण बनाए।
यह विधि होने के बाद उसमें केचुए और उसके अंडो को छोड़ कर उसके ऊपर फिर से पशुओं के गोबर मूत्र का आवरण बना दे। इस आवरण पर हर २ से ४ दिन के अंतराल में पानी का छिड़काव करे। इस तरह से केंचुए की उपस्थिति और गतिविधियों से कुछ ही दिनों में वर्म कम्पोस्ट खाद तैयार हो जाएगा।
५. हरी खाद:
जैविक खेती में हरी खाद का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
– हरी खाद वाली फसलें जैसे कि सनई, देंचा और इनके अतिरिक्त ग्वार, मूग, लॉबिया आदि फसलें कि बुवाई कर के फसल उगने के पश्चात ३० से ३५ दिन बाद यह फसल को भूमि में गिरा कर दबा दी जाती हैं।
यह हरे पत्ते और पौधों के सड़ने और गलने के बाद इन फसलों से भूमि के भौतिक, रसायनिक एवं जैविक गुणों में सुधार होता है। जो आने वाले वक्त में उगाए जाने वाली फसल के लिए बिल्कुल एक खाद की तरह काम करेगा।
हरे पत्ते और पौधे की वजह से यह खाद बनता है जिसकी वजह से इसे हरी खाद के नाम से जाना जाता है।
यह थे जैविक खाद बनाने के सरल और कम लागत वाले घरेलू तरीके। अगर आप भी एक किसान है तो उपरोक्त्त तरीको के माध्यम से आप बड़ी आसानी से अपने घर या खेत पर जैविक खाद बना सकते है।