हमारा देश शरू से ही कृषि प्रधान देश रहा है। भारतीय अर्थतंत्र व्यवस्था में कृषि क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान है। समय के साथ साथ देश की बढ़ती वस्ती से अनाज और अन्य खाद्य चीज़े की माग भी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है जो मुख्यत: कृषि क्षेत्र से हमें मुहिया होती है।आपकी थाली में जो तरह तरह के पकवान होते है, तरह तरह की सब्जियां होती है सभी कृषि की ही तो देन है! जैविक खेती (organic farming) क्या होती है
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आईये हम जैविक खेती से पहले आजेविक खेती क्या होती है उसके बारे में जाने:
कृषि उत्पादन बढ़ाने की इस होड़ में “अजैविक खेती” (inorganic farming) के तहत आज की आधुनिक तकनीक, रासायानिक खाद और कीटनाशक दवाईयां के इस्तेमाल से किसानों ने कृषि उत्पादन में काफी अच्छी बढ़ोत्तरी हासिल की है। लेकिन यह रासायानिक खाद और जहरीले कीटनाशक दवाओं की वजह से फसल की गुणवत्ता में काफी गिरावट आयी है। इतना ही नहीं यह कुत्रिम खाद और कीटनाशकों के उपयोग से पर्यावरण का प्रदूषण बढ़ा है। साथ ही साथ मानव प्रजाती के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड रहा है और कई तरह की बीमारियां भी पाई गई है।
हमारे देश में आज कल विभिन्न तरीके से खेती की जाती है। और अजैविक खेती के नकारात्मक परिणाम की वजह से कृषि क्षेत्र मे अब “जैविक खेती” (Organic farming) का विकास “भारतीय जैविक कृषि संगठन” के द्वारा किया जा रहा है। यह संगठन जैविक खेती करने वाले किसानों का सब से बड़ा समूह है। सन् १९९० के बाद विश्व मै जैविक उत्पादों का बाजार काफी बढ़ा है! आज पूरी दुनिया organic farming को बढ़ावा दे रही है!
जैविक खेती क्या होती है:
जैविक खेती को हम प्राकृतिक या परंपरागत कृषि प्रणाली भी कह सकते है जो प्रकृति, जानवरो और मनुष्य को नुक़सान पहुंचाये बिना किया जाता है। organic farming मै कोई रासायनिक खाद या कीटनाशक दवाओं का उपयोग नई होता है। इसमें गाय का गोबर-मूत्र,कंपोज खाद,जैविक खाद,वर्मी खाद तथा हरी खाद का उपयोग होता है। जो कि पर्यावरण अनुकूलित एवम् खेती के लिए फायदेमंद है।
आईये जानते है जैविक खेती के कुछ तरीके:
१. देशी खेती:
इसमें देशी जड़ीबूटियों के साथ देशी गाय के गोबर से बने खाद के अलावा मटका खाद और जीवामृत का भी प्रयोग होता है!
२. कुदरती खेती:
यह खेती संपूर्ण प्राकृतिक रूप से की जाती है। खेत में एक ही फसल के बीज बोने के बाद फल या फसल आने पर उसे तोड़ लिया जाता है और यह क्रिया वापस दोहराई जाती है।
३. गौ अधारित खेती:
इसमें देशी गाय के गोबर मूत्र से बने ज़ीवामृत, सजिवजल और मुख्य रूप से पंच-गव्य तत्व का उपयोग किया जाता है। खेत की जुताई के लिए सिर्फ बैल का उपयोग किया जाता है!
ऊपर दिखाए गए तरीको से यह नतीजा निकलता है कि, ‘organic farming में किसी भी तरह का कोई कुत्रिम खाद या कीटनाशों का उपयोग नहीं किया जाता है।’
यह खेती संपूर्ण जैविक तत्वों पर निर्भर है। जिसके बारे में उपरोक्त्त पैराग्राफ में पहले से उल्लेख किया गया है।
कई कृषि शोधकर्ताओं द्वारा और रीसर्च के बाद यह साबित किया गया है कि,’अजैविक खेती से होने वाले उत्पादन के मुकाबले “जैविक खेती” (organic farming) से होने वाला उत्पादन गुणवत्तायुक्त और ज्यादा मात्रा में लिया जा सकता है।’
अब बात करते है जैविक खेती प्रणाली के फायदे के बारे में जिसे ३ प्रकार से वर्गीकृत किया गया है:
१. किसानों को होने वाले फायदे:
- जमीन की उपजाऊ क्षमता बढ़ती है।
- फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी।
- सिंचाई के अंतराल में वृद्धि।
- महंगे रासायनिक खाद का उपयोग ना होने की वजह से लागत में कमी।- जैविक उत्पादों की माग बढ़ने से किसानों की आय में बढ़ोतरी
२. खेत की मिट्टी (भूमि) को होने वाले फायदे:
- जैविक खाद के उपयोग से मिट्टी की उपजाऊ गुणवत्ता में सुधार।
- भूमि से वाष्पीकरण कम होता है, मिट्टी लंबे समय तक अपने अंदर पानी धारण कर रखता है।
३. पर्यावरण को होने वाले फायदे:
- कुत्रिम और रसायनी द्रव्यो का उपयोग नहीं होने से मिट्टी, खाद्य पदार्थ, जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी।
- भूमि के उपरी और भूगर्भीय जल स्तर में वृद्धि।
- कचरे का उपयोग जैविक खाद बनाने में इस्तेमाल होने से कचरे का निकाल हो जाता है परिणाम स्वरुप कचरे से फैलने वाली बीमारियों की कमी होती है।
- कीटनाशक दवाओं का उपयोग नहीं होने से केंचुए जैसे खेती के लिए मददरूप जीवों का नाश नहीं होगा।
राष्ट्रीय कृषि विभाग द्वारा organic farming के बारे में प्रचार-प्रसार हेतु चलित झांकी, पोस्टर्स, बेनर्स, साहित्य, एकल नाटक, प्रदर्शन एवं विशेषज्ञों द्वारा जैविक खेती विषयक उद्बोधन आदि के माध्यम से प्रचार-प्रसार कर के कृषकों में जैविक खेती के प्रति जन जाग्रति फैलाई जा रही है।
तो आइए में, आप और हम सब साथ मिल कर जैविक खेती (Organic farming) के बारे में ज्यादा से ज्यादा कृषकों को अवगत करवाएं और जैविक उत्पादों एवम् खेती को अपनाए।
“जय जवान, जय किसान।”
धन्यवाद।