Farming

जैविक कीटनाशक बनाने की विधियाँ

 ज्यादातर किसान फसलों पर लगने और पैदा होने वाले कीटाणुओं को मारने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करते है, जो कि जहरीली केमिकल्स, ड्रग्स जैसे वस्तुओं का प्रयोग करके बनाया जाता है। जिसका पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर काफी हानिकारक असर पड़ता है। अगर किसान रासायनिक कीटनाशकों के विकल्प में जैविक कीटनाशक का प्रयोग करे तो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के साथ साथ फसल की गुणवत्ता भी बढ़ेगी और किसानों की लागत में कमी आएगी।

 सभी कृषकों से निवेदन है की वह कृषि में रासायनिक जहरीली दवाओं का प्रयोग ना करे और नीचे दिए गए प्राकृतिक तरीके से बनाए जाने वाले कीटनाशक तत्वों का इस्तेमाल करे जो सभी किसान बड़ी आसानी से खुद ही अपने घर या खेत पर बना सकते है।

विभिन्न जैविक कीटनाशक बनाने के तरीकों का विस्तृत वर्णन:

*१. “नीम के पत्तों की दवा”*

*सामग्री:*

– ३ किलो ताज़ी नीम की पत्तियां (हल्की पिसी हुई)

– १ किलो नीम की निबोली(नीम का फल) का चूर्ण।

– १० लीटर गौ मूत्र, १ तांबे का बड़ा पात्र।

– ५०० ग्राम हरी मिर्ची (हल्की पिसी हुई)

– २५० ग्राम लहसुन (हल्का पिसा हुआ)

*बनाने की विधि:*

 सबसे पहले तांबे के पात्र मै ३ किलो पिसी हुई नीम की पत्तियां और १ किलो नीम की निबोली के चूर्ण को १० लीटर गोमूत्र मै मिलाइए, इसको अच्छी तरह कपड़े से ढक कर १० दिन तक सड़ने के लिए रख दे। १० दिन के बाद उसे उबाले, उसे तब तक उबाले जब तक वह उबल कर आधा न हो जाए। 

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 अब एक पात्र में २५० ग्राम लहसुन को १ लीटर पानी में मिलाकर रातभर के लिए रख दे और दूसरे पात्र मै ५०० ग्राम हल्की पिसी हुई मिर्च को भी १ लीटर पानी  में मिला कर एक दिन के लिए छोड़ दे। अगले दिन उबला हुआ मिश्रण, हरी मिर्च और लहसुन का पानी एक पात्र में मिला दे। अब यह घोल बन कर तैयार है। प्रयोग के वक़्त इस १ लीटर घोल को ६० लीटर पानी के साथ मिलाकर कर फसलों पर छिड़काव करे।

*फायदे:*

 वैज्ञानिक प्रयोगों से यह पता चला है कि नीम की पत्तियां २०० तरह के कीटो और सूश्रम जीवों जैसे – लीफ माइनर, सफेद मक्खी, मिली बग, मकड़ी,ग्रास होपर (तिड), एफिड, प्लांट हॉपर आदि अनेक कीटाणु को मारने में और फसल से दुख रखने के लिए समर्थ है।

*२. “गौमूत्र कीटनाशक दवा”*

(नोंध:- हम यहां १ एकड़ जमीन या बीघा के लिए कीटनाशक दवा तैयार करेंगे, आपसे अनुरोध है कि आप अपने खेत की ज़मीन के हेकड़ या बीघा को नाप कर योग्य मात्रा में कीटनाशक द्रव्य तैयार करे।)

(अ) नीम – गौमूत्र द्रव्य:

*सामग्री:*

– ५ किलो नीम, ५ लीटर गोमूत्र, ५ किलो गोबर।

 *बनाने की विधि:*

 ५ किलो नीम की पत्तियों को बारीक पीस कर उसमे ५ लीटर गोमूत्र और २ किलो गोबर को अच्छे से मिला कर २४ घंटे सड़ने के लिए रख दे। लेकिन यह २४ घंटो के दौरान इस मिश्रण को  हर थोड़ी देर के पश्चात जरूर हिलाए। २४ घंटे के बाद इस मिश्रण को कपड़े की सहायता से छान ले। कुल पदार्थ में १०० लीटर पानी मिला कर इसका उपयोग कर सकते है।

*फायदे:*

   यह घोल फसलों को नुक़सान पहुंचाने वाले कीटाणु और मिली बग़ को मारने में सक्रिय है।

 (ब) गौमूत्र – तम्बाकू द्रव्य:

*सामग्री:*

– १० किलो गौमूत्र, १ किलो तम्बाकू की सुखी पत्तियां, २५० ग्राम नीला थोथा।

*बनाने की विधि:*

 १० लिटर गौमूत्र में १ किलो तम्बाकू की पत्तियां और २५० ग्राम नीला थोथा मिला कर उसे एक बंध डिब्बे में रख दे। २० दिन के बाद यह जंतुनाशक द्रव्य तैयार हो जाएगा। प्रयोग के वक़्त १ लीटर द्रव्य में १०० लीटर पानी मिला कर फसल पर छिड़काव करे।

(नोघ:- इस द्रव्य का उपयोग दोपहर के वक़्त करे।)

*फायदे:*

   यह घोल मुख्य रूप से फसलों को बालदार सुअर से बचाते है।

 (क) गौमूत्र – लहसुन द्रव्य:

*सामग्री:*

– १० लीटर गोमूत्र, ५०० ग्राम लहसुन, ५० मिली लीटर मिट्टी का तेल.

*बनाने की विधि:*

 १० लीटर गौमूत्र में ५०० ग्राम लहसुन को पीस कर मिला दे। फिर इसमें ५० मिली लीटर मिट्टी का तेल मिला कर उसे २४ घंटे के लिए रख दे। २४ घंटे के बाद इसमें १०० ग्राम साबुन घीस कर मिलाने के बाद इसे कोड की सहायता से छान ले। १ लीटर द्रव्य में ८० लीटर पानी मिला कर इसका उपयोग करे।

*फायदे:*

 यह घोल का उपयोग फसल की रस चूसने वाले कीटाणु को मारने में काम आता है।

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(ख) गोमूत्र से बीजोपचर:

*सामग्री:*

देशी गाय का १ लीटर मूत्र और ४० लीटर पानी।

*बनाने की विधि:*

१ लीटर देशी गाय के मूत्र में ४० लीटर पानी मिला कर २४ घंटो के लिए पड़ा रहेने दीजिए। २४ घंटे बाद यह कीटनाशक द्रव्य बनकर तैयार हो जाएगा।

*३. छाछ द्वारा जैविक कीटनाशक द्रव्य:*

*सामग्री:*

– १ किलो छाछ,

– ५ लीटर पानी, 

– १ किलो नीम की पत्ती और २-३ एलोवेरा पत्ते।

– २५० ग्राम हल्दी।

*बनाने की विधि:*

 सबसे पहले ५ लीटर पानी में १ किलो नीम की पत्ती और २-३ एलोवेरा के पत्ते को मिला कर अच्छे से उबाले। उसे उबल ने के बाद १ किलो छाछ में इसे मिलाकर ७ दिनों के लिए किसी छाव वाली जगह पर रख दे। ७ दिनों बाद इसे डंडे की मदद से हिलाइए सभी तत्वों का अच्छे से मिल जाने के बाद इसे छान ले। उसके बाद उसमे २५० ग्राम हल्दी मिला दे। यह १ लीटर घोल में २० लीटर पानी मिला कर इसका फसलों पर छिड़काव करें।

*फायदे:*

फसलों को नुकसानकारक छोटे – मोटे किट जैसे कीड़े, मकोड़े, इल आदि कीटाणु आपकी फसलों पर नहीं आयंगे।

 उपरोक्त बताए गए सभी जैविक कीटनाशक द्रव्यो जैविक खेती में उपयोग किए जाते है। यह द्रव्यो के वैज्ञानिक तौर पर सक्रिय परिणाम पाए गए है। यह द्रव्य फसलों की सुरक्षा के लिए जितने कारगर है उतने ही किसानों के लिए कम लागत में तैयार होने वाले कीटनाशक है। इतना ही नहीं इन कीटनाशक द्रव्य बनाने की विधि भी एक दम आसान और सरल है वहीं इसमें जरूरी सामग्री हमारे आसपास के माहौल में आसानी से पर्याप्त हो जाती है। 

 अगर आप एक जैविक कृषक है या जैविक कृषि करना चाहते है लेकिन कीटनाशक के उपयोग को ले कर चिंतित है तो उपरोक्त बताए गए सभी जैविक कीटनाशक द्रव्यों का प्रयोग अवश्य करें। 

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